Friday, 16 December 2011

युवा दिलों की कशमकश "राजा को रानी

फिसलते अरमानो को मुट्ठी में बंद कर लेने की जिद्द आज के युवा दिलों में करवट लेने लगी है। जाहिर है कशमकश के हालात तो पैदा होंगे ही। युवा दिलों के इसी कशमकश को निर्माता - निर्देशक स्वप्नदीप ने अपनी फिल्म "राजा को रानी से प्यार हो गईल" में पेश किया है । टॉकी फ्रेम्स इंटरटेनमेंट के बैनर तले बन रही इस फिल्म में युवा वर्ग की बदलती मन: स्थिति और हालत से विद्रोह करने की उनकी प्रवृत्ति को कहानी के केंद्र में रखा गया है । फिल्म गावं के खेत-खलहान, कूल- किनारों और कछारों से गुजरते हुए शहरवालों की भी नब्ज़ टटोलती है। स्वप्नदीप ने गाँव - शहर के बीच के सोच के अंतर को अपने किरदारों में पिरोया है। प्रवेशलाल यादव ,शुभी शर्मा और मेघा घोष स्टारर इस ट्रेंगल लवस्टोरी में मनोरंजन के सारे फ़ॉर्मूले मौजूद जरूर हैं, लेकिन इससे निर्देशक का उद्देश्य सिर्फ कहानी के सन्देश को सुपाच्य बनाना है। फिल्म विधा की गहराई को बखूबी समझने वाले स्वप्नदीप भोजपुरी दर्शकों के मिजाज़ को पहचानते हैं। यही वजह है कि उन्होने हलके -फुल्के अंदाज़ में एक बड़ी सोच को पेश करने का तरीका अपनाया है। यह फिल्म अगले महीने जनवरी में दर्शकों के सामने होगी।

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